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मिठाईवाला अलग-अलग चीज़ें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
बच्चे एक चीज़ से ऊब न जाएँ इसलिए मिठाईवाला अलग – अलग चीज़ें बेचता था। बच्चों में उत्सुकता बनाए रखने के लिए वह महीनों, बाद आता था। साथ ही चीज़ें न मिलने से बच्चे रोएँ, ऐसा मिठाई वाला नहीं चाहता था।
मुरलीवाला भी खिलौनेवाले की तरह ही गा-गाकर खिलौने बेच रहा था। रोहिणी को खिलौने वाले का स्वर जाना पहचाना लगा इसलिए उसे खिलौनेवाले का स्मरण हो आया।
मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे ?
मिठाई वाला मादक – मधुर ढंग से गाकर अपनी चीज़ों को बेचता था।
वह कम लाभ में बच्चों को खिलौने तथा मिठाइयाँ देता था।
उसके हृदय में बच्चों के लिए स्नेह था, वह कभी गुस्सा नहीं करता था।
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खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी ?
मुरलीवाला भी खिलौनेवाले की तरह ही गा-गाकर खिलौने बेच रहा था। रोहिणी को खिलौने वाले का स्वर जाना पहचाना लगा इसलिए उसे खिलौनेवाले का स्मरण हो आया।
खिलौनेवाले के आने पर बच्चे खिलौने देखकर पुलकित हो उठते थे। बच्चों का झुंड खिलौनेवाले को चारों तरफ़ से घेर लेता था। वे पैसे लेकर खिलौने का मोलभाव करने लगते थे। खिलौने पाकर बच्चे खुशी से उछलने – कूदने लगते थे।
किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था ? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया ?
रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया। इस तरह के जीवन में उसे अपने बच्चों की झलक मिल जाती है। उसे ऐसा लगता है कि उसके बच्चे इन्हीं में कहीं हँस – खेल रहे हैं। यदि वो ऐसा नहीं करता तो उनकी याद में घुल-घुलकर मर जाता, क्योंकि उसके बच्चे अब जिंदा नहीं थे। इसी कारण उसने इस व्यवसाय को अपनाया।
कहानी के अंत में रोहिणी द्वारा मिठाई के पैसे मिठाईवाले ने लेने से मना कर दिया क्योंकि चुन्नू और मुन्नू को देखकर उसे अपने बच्चों का स्मरण हो आया। उसे ऐसा लगा मानो वो अपने बच्चों को ही मिठाई दे रहा है।
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
आज भी कुछ औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं जैसे- ग्रामीण महिलाएँ तथा कुछ मुस्लिम परिवारों की महिलाएँ भी ऐसा करती हैं क्योंकि उनमें पर्दा प्रथा का प्रचलन आज भी है। आज के समाज में पर्दा प्रथा सही नहीं है। इसका प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। क्योंकि इससे महिलाओं का संकोच पता चलता है जो उनकी प्रगति में बाधक है।
मिठाईवाला एक प्रतिष्ठत तथा सुखी सम्पन्न व्यापारी था। दुर्घटनावश किसी दिन उनकी पत्नी और उनके दोनों बच्चों की मृत्यु हो गई। पत्नी और बच्चों के न होने के कारण व्यापारी को अपना अस्तित्व और अपनी सम्पत्ति व्यर्थ लग रही थी। अतः इसी कारण मिठाईवाले ने अपने दुःख को भुलाने के लिए दूसरे बच्चों की खुशी में अपनी खुशी को ढूढ़ने की चेष्टा की। इसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिली।
खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
मिठाईवाला रोहिणी की बात सुनकर भावुक हो गया था।
उसने इस छोटे व्यवसाय को अपनाने का कारण यह बताया कि इससे उसे अपने मृत बच्चों की झलक दूसरों के बच्चों में मिल जाती है। बच्चों के साथ रहकर उसे संतोष, धैर्य व असीम सुख की प्राप्ति होती है।
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि उसे वह आवाज़ जानी-पहचानी लगी। उसे स्मरण हो आया कि खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था और इस मुरलीवाले का स्वर भी उसी तरह का था। ये भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।
खिलौनेवाले की मादक मधुर आवाज़ सुनकर बच्चे चंचल हो उठते। उसके स्नेहपूर्ण कंठ से फूटती हूई आवाज़ सुनकर निकट के मकानों में हल-चल मच जाती। गलियों तथा उनके भीतर स्थित छोटे-छोटे उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का समूह अपनी जूते- टोपी को उद्यान में ही भूलकर उसे घेर लेता और वे अपने-अपने घरों से पैसे लाकर खिलौनों का मोल-भाव करने लगते।
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