20 questions
आज से कौनसे पर्व प्रारम्भ हुए हैं।
अष्टाह्निका पर्व
दशलक्षण पर्व
सोलहकारण पर्व
पंचमेरू पर्व
चिदानन्द स्वातमरसी , सत् शिव सुन्दर जान। ज्ञाता- दृष्टा लोक के , परम सिद्ध भगवान।।
पूजन के रचयिता कौन हैं।
बाबू जुगल किशोर जी युगल
कवि लालजी
पंडित संतलाल जी
डाॅ हुकमचन्द जी भारिल्ल
मेरा स्वभाव है _______, यह भेदज्ञान पा हरषाया। पंक्ति पूर्ण करे।
सुखमयी
ज्ञानमयी
दर्शनमयी
चेतनामयी
भोजन बिन____ में जीवन , भर पेट मनुज क्यों मरता है। पंक्ति पूर्ण करे।
स्वर्गो
नरको
देवो
मनुष्यों
शुभ - अशुभ राग जो ____ - खान , उसमें माना आनन्द महान। पंक्ति पूर्ण करे।
सुख
दुःख
स्वर्ण
इनमें से कोई नहीं
पूजा भक्ति का सच्चा लाभ क्या है।
विषय - कषाय में लगना
विषय - कषाय से बचना
पापों में लगना
इनमें से कोई नहीं
पूजन के प्रासुक द्रव्य कौन से है।
सचित पदार्थ
अचित पदार्थ
सचित और अचित पदार्थ
इनमें से कोई नहीं
आचार्य कुन्दकुन्द के पटृ शिष्य कौन थे।
आचार्य समन्तभद्र
आचार्य चन्द्रगुप्त
आचार्य उमास्वामी
आचार्य शान्ति सागर
संस्कृत भाषा का सर्वप्रथम जैन ग्रंथ कौनसा है।
भक्तामर स्तोत्र
तत्त्वार्थ सूत्र
महावीराष्टक
परमागम स्त्तोत्र
उपयोग किसे कहते है।
सुख - दुःख के कार्य को
ज्ञान - दर्शन के कार्य को
स्व - पर के कार्य को
इनमें से कोई नहीं
उपयोगो लक्षणम् वाक्य कहां से लिया गया है।
तत्त्वार्थ सूत्र
सिद्ध पूजन
पार्श्वनाथ स्तोत्र
इनमें से कोई नहीं
उपयोग के मुख्य कितने भेद है।
5
2
8
4
जीव को एक समय में कम से कम कितने और अधिक से अधिक कितने ज्ञान हो सकते है।
1 , 4
2 , 5
2 , 0
3 , 4
पूर्ण ज्ञान कौनसा है।
अवधि ज्ञान
मति ज्ञान
केवल ज्ञान
श्रुत ज्ञान
मनुष्यों और तिर्यंचो के कौनसे ज्ञान होते है।
मति ज्ञान , श्रुत ज्ञान
मति ज्ञान , अवधि ज्ञान
श्रुत ज्ञान , केवल ज्ञान
अवधि ज्ञान , मन : पर्यय ज्ञान
इंद्रियों और मन के निमित्त से कौनसा ज्ञान होता है।
केवल ज्ञान
अवधि ज्ञान
मति ज्ञान
इनमें से कोई नहीं
अगृहित मिथ्यात्व किसे कहते है।
जो अनादि से चला आ रहा है।
जो इस भव में ग्रहण किया है।
जो अनेक भवो तक ग्रहण करते रहेंगे।
इनमें से कोई नहीं
मिथ्यात्व किसे कहते है।
सही मान्यता का नाम
उल्टी मान्यता का नाम
आत्मा को कसने का नाम
कथन करने का नाम
कौनसा मिथ्यात्व ग्रहण करने योग्य है।
गृहित मिथ्यात्व
अगृहित मिथ्यात्व
दोनों ही
इनमें से कोई नहीं
मैं शब्द का वाच्यार्थ है।
आत्मा
शरीर
कषाय
धन